तबादले के 25 दिन बाद भी कुर्सी पर डटे हैं रेंजर कुंवारपुर, क्या डीएफओ मनेंद्रगढ़ और सी सी एफ सरगुजा वन वृत की मंशा भी यही है.....

प्रदीप पाटकर

तबादले के 25 दिन बाद भी कुर्सी पर डटे हैं रेंजर कुंवारपुर, क्या डीएफओ मनेंद्रगढ़ और सी सी एफ सरगुजा वन वृत की मंशा भी यही है.....

तबादले के 25 दिन बाद भी कुर्सी पर डटे हैं रेंजर कुंवारपुर, क्या डीएफओ मनेंद्रगढ़ और सी सी एफ सरगुजा वन वृत की मंशा भी यही है.....

एमसीबी । मनेंद्रगढ़ वन मंडल अंतर्गत जनकपुर उप वन मंडल क्षेत्र के कुंवारपुर वन परिक्षेत्र में बैठे रेंजर शिव कुमार ध्रुव का तबादला 1 अगस्त 2023 को शासन द्वारा गरियाबंद वन मंडल के नवागढ़ सामान्य वन परिक्षेत्र में किया गया था। चूंकि इस तबादला सूची में राज्य भर के कई रेंजरों का तबादला हुआ था जिसमे एक ये भी थे। और जिसके बाद अब तक लगभग रेंज अफसरों ने अपना चार्ज प्रभार सौंपकर नए सिरे से कामकाज शुरू कर दिया है परंतु तबादले को 24 दिन बीत चुके हैं और कुंवारपुर रेंजर द्वारा शासन के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए आदेश के विरुद्ध अब तक उसी मजबूती से कुर्सी पर बैठे हुए हैं। जबकि तबादला भी इनके गृह जिले के पास ही हुआ है बावजूद इसके इनके द्वारा अपने गृह ग्राम के नजदीक ना जाकर इतनी दूर जमकर बैठ जाना किस ओर इशारा करता है समझा जा सकता है। वहीं दूसरी ओर अब इन सब के पीछे एक बात पर जताया जा रहा है की कहीं इन सब के पीछे स्थानीय डी एफ ओ और सरगुजा वन वृत के मुख्य वन संरक्षक की स्वीकृति तो नही है जो इन पर कोई एक्शन नहीं ले रहे हैं।

अवगत करा दें की वन परिक्षेत्र अधिकारी कुंवारपुर के बारे
में विभागीय सूत्रों से जानकारी मिली है की वन क्षेत्र में मिले दायित्वों और सुझाव को भी ये अनसुना करते हैं जो इन्हें इनके उच्चाधिकारियों से मिलते हैं।

कुंवारपुर रेंज का एम पी कनेक्शन तो नहीं, ?

आपको अवगत करा दें की चाहे जनकपुर से शहडोल मुख्य सड़क मार्ग हो या फिर कुंवारपुर ग्राम का पिछला वन क्षेत्र हो सभी बीहड़ मध्य प्रदेश से पूरी तरह जुड़े हुए है। और जिस कारण यहां के जंगलों से अवैध लकड़ियों की तस्करी भी एक बड़ी चुनौती रही है। जिसे समय समय पर देखा भी गया है। परंतु हर बात के दो पहलू भी होते हैं। अगर कुंवारपुर रेंज की बात करें तो एक पहलू पॉजिटिव मतलब वन क्षेत्र में प्राप्त पदीय दायित्वों का ईमानदारी पूर्वक पालन तो दूसरा पहलू कुंवारपुर का एम पी कनेक्शन कह सकते हैं। अब रेंजर कुंवारपुर का एमपी कनेशन है या फिर अपने पदीय दायित्वों में कर्मठता का परिचय है। गृह ग्राम के नजदीक तबादले के बाद भी ना जाना और कोर्ट से स्थगन लाना। ये सभी गतिविधियां किन मायनों को पुख्ता करेगी पड़ताल का विषय है।