Eid-e-Milad-un-Nabi 2022: क्यों मनाया जाता है ईद-ए-मिलाद? कौन हैं हजरत मोहम्मद जानिए सब कुछ
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Artical by-Shajad Ansari
Bhartiya Media News desk : आज यानी 9 अक्टूबर को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी (Eid-E-Milad-Un-Nabi-Eid) है. आज ही के दिन पैगम्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (mohammad sallallaho alaihe salam) की पैदाइश सऊदी अरब के शहर मक्का में हुई थी.
मोहम्मद स0 ने इस्मलाम धर्म को पूरी दुनिया में फैलाया
हजरत मोहम्मद इस्मलाम धर्म के संस्थापक हैं. हजरत मुहम्मद (सल्ल) ने ही इस्लाम धर्म को मजबूती के साथ पूरी दुनिया में कायम किया है. मुसलमानों (Muslims) के मुताबिक वह आखिरी पैगम्बर भी हैं. आपके बाद अब कायामत तक कोई नबी (Prophet) नहीं आने वाला है. इस्लामिक या अरबी कैलेंडर (Arabic Calendar) के मुताबिक तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल की 12वीं तारीख, 570 ईं. के दिन ही मोहम्मद साहेब जन्मे थे. इस दिन मुसलमान मजलिसें लगाते हैं, नात पढ़तें हैं, उन्हें याद कर शायरी और कविताएं पढ़ी जाती हैं, पैगंबर मोहम्मद की हदीसें (हजरत मोहम्मद स0 की कही बातें) पढ़ी जाती हैं, फातिहा पढ़ी जाती है. मस्जिदों में नमाज़ें अदा की जाती हैं.
कौन थे पैगंबर हजरत मोहम्मद?
पैगंबर मोहम्मद का पूरा नाम पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम था. वह इस्लाम मजहब के सबसे महान नबी और आखिरी पैगंबर थे. उनका जन्म मक्का शहर में हुआ. इनके पिता का नाम मोहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मुत्तलिब और माता का नाम बीबी अमिना था. मुसलमानों के मुताबिक 610 ईं. में मक्का के पास गार-ए-हिराह नाम की गुफा में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई. मोहम्मद (सल्ल) को वहीं पर (अल्लाह) रब्बुल इज्जत ने फरिश्तों के सरदार जिब्राइल, (अलै) के मार्फत पवित्र संदेश सुनाया.
हजरत मोहम्मद स0 ने क्या किया?
हजत मोहम्मद स0 से पहले पूरा अरब सामाजिक और धार्मिक बिगाड़ का शिकार था. लोग तरह-तरह के बुतों की पूजा करते थे. कमजोर और गरीबों पर जुल्म होते थे और औरतों का जीवन सुरक्षित नहीं था. आप (सल्ल) ने लोगों को एक ईश्वरवाद की शिक्षा दी. अल्लाह की इबादत पर बल दिया. लोगों को पाक-साफ रहने के नियम बताए. साथ ही सभी लोगों के जानमाल की सुरक्षा के लिए भी इस्लामिक तरीके लोगों तक पहुंचाए. साथ ही (अल्लाह) रब्बुल इज्जत, के पवित्र संदेश को भी सभी लोगों तक पहुंचाया. उन्होंने इस्लाम मजहब की सबसे पवित्र किताब कुरान की शिक्षाओं का उपदेश दिया.
क्यो मनाते हैं ईद-ए-मिलाद-उन-नबी ?
मुसलमान पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्म की खुशी में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाते हैं. इस दिन रात भर प्रार्थनाएं चलती हैं. जुलूस निकाले जाते हैं. मुसलमान इस दिन इस दिन मुसलमान मजलिसें लगाते हैं, नात पढ़तें हैं, उन्हें याद कर शायरी और कविताएं पढ़ी जाती हैं, पैगंबर मोहम्मद की हदीसें (हजरत मोहम्मद स0 की कही बातें) पढ़ी जाती हैं. हजरत मुहम्मद के जन्मदिन को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के नाम से मनाया जाता है. पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिवस के अवसर पर घरों और मस्ज़िदों को सजाया जाता है. नमाज़ों और संदेशों को पढ़ने के साथ-साथ गरीबों को दान दिया जाता है. उन्हें खाना खिलाया जाता है. जो लोग मस्जिद नहीं जा पाते वो घर में कुरान पढ़ते हैं.